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भारत में जल्द बर्दाश्त की सीमा से बाहर हो सकती है गर्मी- विश्व बैंक
विश्व बैंक ने भारत में अत्यधिक गर्मी पड़ने का अनुमान लगाया है

भारत में जल्द बर्दाश्त की सीमा से बाहर हो सकती है गर्मी- विश्व बैंक

Dec 07, 2022
07:13 pm

क्या है खबर?

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में लू का प्रकोप चिंताजनक गति से बढ़ा है और भारत जल्द भीषण गर्म हवाओं का सामना करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा और इनमें गर्मी इंसान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी का सामना कर रहा है जो जल्द शुरू हो जाती हैं और ज्यादा समय तक रहती है।

जानकारी

केरल सरकार के साथ साझेदारी में तैयार की गई रिपोर्ट

इस रिपोर्ट का शीर्षक 'भारत में शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर' है और इसे केरल सरकार की साझेदारी में विश्व बैंक द्वारा तिरुवनंतपुरम में आयोजित भारत जलवायु एवं विकास साझेदारों की दो दिवसीय बैठक में जारी किया गया।

रिपोर्ट

रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जल्द लू की तीव्रता इंसान की बर्दाश्त की सीमा को पार कर जाएगी। बतौर रिपोर्ट, अगस्त, 2021 में जलवायु परिवर्तन के अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की आंकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि भारतीय उपमहाद्वीप में आगामी दशक में भीषण लू चलने के अधिक मामले सामने आएंगे। G-20 क्लाइमेट रिस्क एटलस में भी भारत में 2036 से 2065 के बीच 25 गुना अधिक लू चलने की बात कही गई है।

आर्थिक स्थिति

गर्मी से आर्थिक उत्पादकता में आएगी कमी- रिपोर्ट

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत में बढ़ती गर्मी से आर्थिक उत्पादकता में भी कमी आ सकती है। बतौर रिपोर्ट, भारत के 75 प्रतिशत कर्मचारी यानी करीब 38 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं जिनमें गर्म वातावरण में रहना पड़ता है। इसके अलावा 2030 तक गर्मी के कारण उत्पादकता में गिरावट की वजह से वैश्विक स्तर पर आठ करोड़ नौकरियां जाने का अनुमान लगाया गया है जिनमें से 3.4 करोड़ नौकरयां भारत में जाएंगी।

रिपोर्ट

गर्मी का GDP पर क्या असर पड़ेगा?

वैश्विक प्रबंधन सलाहकार फर्म मैकिन्से एंड कंपनी द्वारा किए गए विश्लेषण के मुताबिक, बढ़ती गर्मी और उमस से होने वाला श्रम का नुकसान इस दशक के अंत तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 4.5 प्रतिशत गिरा सकता है। फार्म ने कहा कि भारत की दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा एक विश्वसनीय कोल्ड-चेन पर निर्भर करेगी। गौरतलब है कि यात्रा में तापमान की छोटी सी कमी भी कोल्ड-चेन को तोड़ सकती है।

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