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जेनोवा की mRNA आधारित कोरोना वैक्सीन को मिली दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी
जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की nRNA आधारित वैक्सनी को मिली दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी।

जेनोवा की mRNA आधारित कोरोना वैक्सीन को मिली दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी

Aug 24, 2021
09:03 pm

क्या है खबर?

देश की पहली mRNA आधारित कोरोना वैक्सीन विकसित करने में जुटी पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को मंगलवार को बड़ी सफलता मिली है। पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी मिलने के बाद अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। यदि इसे सफलता मिलती है तो भारत को कोरोना महामारी के खिलाफ एक और हथियार मिल जाएगा।

विकसित

जेनोवा ने DBT और BIRAC के सहयोग से विकसित की है वैक्सीन

बता दें कि जेनोवा ने देश की पहली mRNA आधारित कोरोना वैक्सीन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसन्धान सहायता परिषद (BIRAC) के सहयोग से विकसित किया है। कम्पनी ने पहले चरण के ट्रायल के अंतरिम ​​​​आंकड़ों को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को भेजा था। वैक्सीन सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की समीक्षा में वैक्सीन ट्रायल में शामिल लोगों के लिये सुरक्षित, सहनीय और प्रभावी मिली।

आवेदन

कंपनी ने दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए किया आवेदन

पहले चरण की सफलता के बाद कंपनी ने DCGI के समक्ष वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था। जिसे मंगलवार को मंजूरी दे दी है। बता दें कि mRNA तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं।

जानकारी

mRNA तकनीक पर ही आधारित है फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन

बता दें कि अमेरिकी की कंपनी फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन भी mRNA तकनीक पर ही आधारित है। इसकी सफलता को देखते हुए अमेरिका ने फाइजर की वैक्सीन को सोमवार को इस्तेमाल की पूर्ण मंजूरी भी दे दी है।

बयान

दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल पर है कंपनी का ध्यान- सिंह

जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) संजय सिंह ने कहा, "mRNA पर आधारित हमारी कोरोना वैक्सीन पहले चरण में सुरक्षित मिली है। ऐसे में अब हमारा पूरा ध्यान दूसरे और तीसरे चरण का निर्णायक ट्रायल शुरू करने पर टिका है।" उन्होंने कहा, "भारत में लगभग 10 से 15 अस्पतालों में दूसरे तथा 22 से 27 अस्पतालों में तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल करेगी। इसके लिए जल्द ही वॉलेंटियरों का पंजीयन किया जाएगा।"

सफलता

देश के लिए बड़ी उपलब्धि है mRNA आधारित वैक्सीन- रेणु

DBT सचिव और BIRAC की अध्यक्ष रेणु स्वरूप ने कहा कि यह देश के स्वदेशी वैक्सीन विकास मिशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह कोरोना वैक्सीन के विकास मामले में विश्व पटल पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। केंद्र सरकार वर्तमान में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन मंगवाने के प्रयास में जुटी है, लेकिन दोनों कंपनियां अभी भी क्षतिपूर्ति और आयात के मुद्दों में फंसी है। समाधान के बाद वैक्सीन मिलने का रास्ता साफ होगा।

बयान

वैक्सीन को लेकर उत्साहित होना होगी जल्दबाजी- खदायते

वैक्सीन को दूसरे और तीसरे चरण ट्रायल की मंजूरी मिलने की खुशी के बीच फार्मा विश्लेषक प्रशांत खदायते ने कहा, "इस वैक्सीन के बारे में उत्साहित होना जल्दबाजी होगी क्योंकि तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल पूरा होना अभी बाकी है। उन्होंने कहा, "जब तक यह वैक्सीन बाजार में पहुंचेगी तब तक भारत अपनी अधिकांश आबादी को वैक्सीन लगा चुका होगा। हालांकि, इससे भारत को वैश्विक स्तर पर अपना नवाचार प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।"

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