
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम पर सुनवाई; CJI बोले- यह संवैधानिकता का मामला, ठोस सबूत लाएं
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह अधिनियम सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का प्रयास है।
इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता को लेकर टिप्पणी की और ठोस सबूतों के आधार पर हस्तक्षेप की बात कही।
सुनवाई
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि संसद से पारित कानून संवैधानिकता का मामला है और जब तक कोई ठोस सबूत के जरिए यह नहीं बताया जाता कि कोई कानून संवैधानिक नहीं, तब तक कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करती...क्योंकि धारणा संविधान के गठन के संबंध में है।"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के कई प्रावधानों को चुनौती देते हुए इसकी संवैधानिक वैधता पर चिंता जताई।
सिब्बल ने कहाकि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है।
आग्रह
केंद्र सरकार ने कोर्ट से किया 3 मुद्दों पर सुनवाई का आग्रह
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह 3 मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के लिए दलीलें सुनेगी।
इसमें 'कोर्ट द्वारा वक्फ', 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' या 'विलेख द्वारा वक्फ' घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार शामिल है।
कोर्ट ने साफ कहा कि वह 20 मई को पूर्ववर्ती 1995 के वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने की किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी।
केंद्र ने भी कोर्ट से इन्हीं 3 मुद्दों पर सुनवाई का आग्रह किया था।
सुनवाई
क्या हैं 3 मुद्दों पर सुनवाई के मायने?
केंद्र चाहती है कि कोर्ट केवल वक्फ अधिनियम से जुड़े 3 मुद्दों पर सुनवाई करे, जबकि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जरूरी कानून पर टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती।
इन 3 मुद्दों में पहला मुद्दा 'कोर्ट द्वारा वक्फ', 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' या 'विलेख द्वारा वक्फ' घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का अधिकार, दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना और तीसरा मुद्दा कलेक्टर द्वारा जांच के प्रावधान से जुड़ा है।
जिक्र
सिब्बल ने किया बाबरी मस्जिद का जिक्र
सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि अधिनियम की संवैधानिकता पर अंतरिम आदेश जारी करने पर सुनवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून असंवैधानिक और संपत्ति छीनने वाला है, जिसमें कलेक्टर वक्फ संपत्ति की जांच करने और रिपोर्ट देने का प्रावधान है, जबकि वक्फ संपत्ति अल्लाह के नाम पर होती है।
उन्होंने कहा कि मंदिरों में चढ़ावा आता है, लेकिन मस्जिदों में नहीं। इसमें सरकार आर्थिक मदद नहीं दे सकती। यही 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' है, बाबरी मस्जिद भी ऐसी ही थी।