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नए कृषि कानूनों के बावजूद हरियाणा में फसल नहीं बेच पाए उत्तर प्रदेश के किसान

नए कृषि कानूनों के बावजूद हरियाणा में फसल नहीं बेच पाए उत्तर प्रदेश के किसान

Sep 29, 2020
09:14 am

क्या है खबर?

किसानों को देश में कहीं भी अपने फसल बेचने की आजादी देने वाली कृषि विधेयकों के कानून बनने के बावजूद सोमवार को उत्तर प्रदेश के किसानों को हरियाणा के करनाल में फसल बेचने से रोक दिया गया। जिला प्रशासन ने धान बेचने आए इन किसानों को राज्य की सीमा पर हो रोक दिया। खबरों के अनुसार, प्रशासन ने स्थानीय किसानों को तरजीह देने के लिए ऐसा किया। उत्तर प्रदेश से आए किसानों की संख्या लगभग 50 बताई जा रही है।

पृष्ठभूमि

नए कानून में दी गई है देश में कहीं भी फसल बेचने की आजादी

रविवार को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद प्रभावी हुए मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों में शामिल कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020 में किसानों को अपनी फसल देश के किसी भी हिस्से में बेचने की आजादी दी गई है, जबकि पहले किसान केवल अपने जिले की सरकारी मंडी में फसल बेच सकते थे। इसके अलावा मंडियों के दायरे से बाहर नए व्यापारिक इलाके भी बनाए गए हैं जहां किसान अपनी फसल व्यापारियों को बेच सकेंगे।

मामला

कानूनों के प्रभाव में आने के बावजूद रोके गए उत्तर प्रदेश के किसान

हालांकि सोमवार को हरियाणा के करनाल में दूसरी ही तस्वीर देखने को मिली और यहां फसल बेचने आ रहे उत्तर प्रदेश के किसानों को सीमा पर ही रोक दिया गया। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, ये किसान गैर-बासमती किस्म के धान बेचने के लिए हरियाणा आए थे क्योंकि हरियाणा सरकार इन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदती है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ऐसा नहीं करती। हालांकि जिला प्रशासन के आदेश पर उन्हें राज्य में घुसने नहीं दिया गया।

आदेश

इस आदेश के कारण रोके गए किसान

दरअसल, करनाल के उपायुक्त निशांत यादव ने शनिवार को गैर-बासमती किस्म के धान बेचने के लिए आ रहे दूसरे किसानों को राज्य की सीमा पार न करने देने का आदेश दिया था और इसी के आधार पर उत्तर प्रदेश के किसानों को रोका गया। रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय किसान भी यही फसल करते हैं और खरीद में उनको तरजीह देने के लिए प्रशासन ने ये आदेश दिया था, जो कि पिछले कुछ सालों से नहीं हुआ है।

प्रतिक्रिया

हरियाणा सरकार ने कहा- फसल बेचने से पहले किसानों को कराना होगा पंजीकरण

वहीं हरियाणा सरकार ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि गैर-बासमती धान बेचने आ रहे किसानों को आने दिया जाएगा, लेकिन इससे पहले उन्हें राज्य के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और अपनी बारी का इंतजार करना होगा। अपर मुख्य खाद्य सचिव पीके दास ने कहा, "ऐसा कोई कानून नहीं है जो बाहरी राज्यों के किसानों को हरियाणा में अपनी फसल बेचने से रोके। हालांकि हमारा एक पोर्टल है जहां किसानों को अपनी जानकारी अपलोड करनी होती है।"

बयान

दास ने कहा- पंजीकरण के बाद किसानों को दी जाएगी मंडी आने की तारीख

दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण किसानों को अलग-अलग समय पर बुलाया जा रहा है और पंजीकरण कराने वाले हर किसान को एक मैसेज भेजा जाता है जिसमें उन्हें मंडी आने की एक तारीख दी जाती है। उन्होंने कहा कि सोमवार को रोके गए किसानों को भी पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए कहा गया है और ऐसा करने पर उन्हें एक मैसेज प्राप्त होगा, जिसमें लिखी तारीख को वे अपनी फसल बेचने मंडी आ सकेंगे।

जानकारी

किसान बोले- बहाना बना रही राज्य सरकार

हालांकि किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने इसे स्थानीय किसानों को तरजीह देने के लिए राज्य सरकार का एक बहाना बताया है, जो कि किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे के खिलाफ है।

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